World Suicide Prevention Day: बेतूल में आयोजित हुई जागरूकता सेमिनार, एक्सपर्ट्स ने बताए महत्वपूर्ण उपाय

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के मौके पर मध्य प्रदेश के बेतूल में एक महत्वपूर्ण सेमिनार का आयोजन किया गया। जानिए किस तरह मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने और आत्महत्या जैसे गंभीर मुद्दे पर चर्चा हुई।

आज के दौर में तनाव और मानसिक परेशानियाँ आम होती जा रही हैं। इन्हीं गंभीर विषयों पर चर्चा करने और लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के बेतूल जिले में एक खास सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में मानसिक स्वास्थ्य एक्सपर्ट्स, डॉक्टर्स और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया और आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने के उपायों पर विस्तार से बातचीत की।

क्यों है यह दिन इतना जरूरी?

सेमिनार में सबसे पहले यह बात उभरकर सामने आई कि आत्महत्या कोई हल नहीं है। छोटी-छोटी समस्याएं जब इंसान के सिर पर सवार हो जाती हैं, तो वह गलत कदम उठाने पर मजबूर हो जाता है। ऐसे में जरूरी है कि उसे सही समय पर सहारा मिले। इस दिन को मनाने का मुख्य मकसद यही है कि लोगों को समझाया जाए कि जिंदगी अनमोल है और मुश्किल वक्त में धैर्य रखना कितना जरूरी है।

बेतूल सेमिनार की मुख्य बातें

इस सेमिनार में शहर और आसपास के इलाकों के कई प्रतिष्ठित लोग शामिल हुए। उन्होंने न सिर्फ आत्महत्या के कारणों पर बात की, बल्कि इससे बचाव के तरीकों पर भी रोशनी डाली।

  1. मानसिक तनाव को नज़रअंदाज़ न करें: एक्सपर्ट्स का कहना था कि अक्सर लोग मानसिक परेशानियों को गंभीरता से नहीं लेते। उदासी, चिड़चिड़ापन या अकेले रहने की आदत को हल्के में नहीं लेना चाहिए। ऐसे में परिवार और दोस्तों की भूमिका अहम हो जाती है।
  2. काउंसलिंग है जरूरी: सेमिनार में इस बात पर जोर दिया गया कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए काउंसलिंग उतनी ही जरूरी है, जितनी शारीरिक बीमारियों के लिए डॉक्टर की सलाह। नियमित तौर पर काउंसलिंग लेने से इंसान अपने मन का बोझ हल्का कर सकता है।
  3. योग और मेडिटेशन: तनाव कम करने में योग और ध्यान (मेडिटेशन) का बहुत बड़ा role है। रोजाना कुछ देर योग करने से मन शांत रहता है और नकारात्मक thoughts दूर होते हैं।
  4. हेल्पलाइन नंबर की जानकारी: लोगों को आत्महत्या जैसे कदम उठाने से पहले हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करने की सलाह दी गई। इन नंबरों पर trained counsellors मदद कर सकते हैं।

समाज की भूमिका

सेमिनार में यह बात भी सामने आई कि सिर्फ एक दिन की जागरूकता काफी नहीं है। हमें समाज के रूप में, हमेशा एक-दूसरे की मदद के लिए तैयार रहना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति परेशान दिखे, तो उससे बात करें, उसकी बात सुनें। कई बार सिर्फ एक अच्छा श्रोता (good listener) ही किसी की जिंदगी बचा सकता है।

निष्कर्ष

बेतूल में आयोजित यह सेमिनार एक सराहनीय पहल थी। उम्मीद है कि इस तरह के आयोजनों से लोगों की सोच में बदलाव आएगा और वे मानसिक स्वास्थ्य के प्रति अधिक aware होंगे। याद रखिए, “हर समस्या का कोई न कोई हल जरूर होता है, बस हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।”

अगर आप या आपका कोई करीबी मानसिक तनाव से गुजर रहा है, तो तुरंत किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें। आप किसी भी वक्त हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके मदद ले सकते हैं।

मैं रितेश रावत एक स्नातक छात्र हूं और ऑटोमोबाइल,टेक्नोलॉजी एवं न्यूज़ कैटेगरी में कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। मुझे नई कारों, बाइकों, खबरों और आधुनिक तकनीकों के बारे में लिखना बेहद पसंद है। मेरा लक्ष्य है कि मैं अपने लेखों के माध्यम से पाठकों को सरल, रोचक और भरोसेमंद जानकारी प्रदान कर सकूं, ताकि वे ऑटो और टेक्नोलॉजी की दुनिया से हमेशा अपडेट रहें।

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