नेपाल में सोशल मीडिया बैन और GenZ के विद्रोह ने क्यों बढ़ाया तनाव? पूरी कहानी

Quora24.com

नेपाल की सरकार और युवाओं के बीच एक नई लड़ाई शुरू हो गई है। काठमांडू की सड़कों पर इन दिनों जो तनाव दिख रहा है, वह सिर्फ एक विरोध नहीं, बल्कि एक पूरी पीढ़ी की आवाज़ बन चुका है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले ने GenZ यानी नौजवानों को सड़कों पर उतार दिया है। मामला क्या है? आइए समझते हैं।

क्या है मामला?

नेपाल सरकार ने हाल ही में टिकटॉक समेत कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अस्थायी रोक लगा दी थी। सरकार का कहना था कि ये प्लेटफॉर्म “सामाजिक एकता” को बिगाड़ रहे हैं और अफवाहों को बढ़ावा दे रहे हैं। लेकिन युवाओं ने इसे अपनी आजादी पर हमला माना।

युवाओं में आक्रोश क्यों?

नेपाल की लगभग ४०% आबादी युवाओं की है। इनमें से ज्यादातर GenZ यानी १८-२४ साल के नौजवान हैं, जो डिजिटल दुनिया से गहराई से जुड़े हैं। सोशल मीडिया उनकी आवाज़, उनकी पहचान और उनका मंच है। जब सरकार ने उनके इस मंच को बंद किया, तो ये युवा सड़कों पर उतर आए।

हिंसक झड़पों का कारण

विरोध शांतिपूर्ण शुरू हुआ, लेकिन जल्द ही हिंसक हो गया। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं। आंसू गैस के गोले छूटे और कई युवा गिरफ्तार भी हुए। युवाओं का आरोप है कि सरकार उनकी बात सुनने के बजाय दमन कर रही है।

सरकार का रुख

नेपाल सरकार का कहना है कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग हो रहा था और इससे समाज में गलत संदेश फैल रहा था। उनका दावा है कि यह प्रतिबंध सिर्फ जनता के हित में लगाया गया था। लेकिन युवा इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इस मामले पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी नेपाल सरकार की आलोचना की है। उनका कहना है कि किसी भी लोकतांत्रिक देश में नागरिकों की अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए।

क्या होगा आगे?

अभी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। युवाओं ने साफ कह दिया है कि जब तक सोशल मीडिया प्रतिबंध पूरी तरह हट नहीं जाता, वे विरोध जारी रखेंगे। नेपाल सरकार के सामने अब एक बड़ी चुनौती है – युवाओं का विश्वास जीतना और लोकतंत्र की मर्यादा बनाए रखना।

निष्कर्ष

नेपाल में यह विरोध सिर्फ सोशल मीडिया के बैन के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह युवाओं की अपनी आवाज़ और भविष्य को लेकर चिंता की कहानी है। दुनिया भर में GenZ अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो रहा है, और नेपाल इसका ताजा उदाहरण है।