Up Smart Meter:- उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने यूपी पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के अधिकारियों के होश उड़ा दिए हैं। हैरत की बात यह है कि इसके केंद्र में हैं स्मार्ट मीटर, जिन्हें बिजली चोरी रोकने और सटीक बिलिंग का हथियार माना जाता था।
Up Smart Meter का पूरा मामला?
सितंबर 2025 के महीने में हुई एक आंतरिक जांच में खुलासा हुआ है कि प्रदेश भर में लगभग 15,000 स्मार्ट मीटर कनेक्शनों ने महीने भर में बिल्कुल जीरो यूनिट बिजली खपत दर्ज की है। यानी, इन घरों या दुकानों में एक भी यूनिट बिजली का इस्तेमाल नहीं हुआ, जो कि एक असंभव-सी स्थिति है।
यह आंकड़ा किसी छोटे-मोटे इलाके का नहीं, बल्कि कई शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों से आया है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर यह हो क्या रहा है?
क्या हैं मुमकिन वजहें?
अधिकारियों और एक्सपर्ट्स की राय में इसकी कई वजहें हो सकती हैं:
- तकनीकी गड़बड़ी: शुरुआती शक स्मार्ट मीटरों में ही किसी तकनीकी खराबी पर जा रहा है। हो सकता है मीटर ठीक से इंस्टॉल न हुए हों, उनका कैलिब्रेशन ठीक न हो, या फिर सॉफ्टवेयर में कोई बग हो।
- बाइपास का शक: आशंका जताई जा रही है कि कुछ उपभोक्ताओं ने स्मार्ट मीटरों को हैक करने या बाइपास करने का कोई रास्ता ढूंढ लिया हो, ताकि बिजली का इस्तेमाल तो हो, लेकन खपत दर्ज न हो।
- मीटर चोरी: कुछ मामलों में नए लगे मीटरों की चोरी की शिकायतें भी मिली हैं। हो सकता है चोरी हुए मीटरों के कनेक्शन अभी भी सिस्टम में एक्टिव हों।
- डेटा ट्रांसमिशन में दिक्कत: स्मार्ट मीटर से सर्वर तक डेटा भेजने में नेटवर्क की समस्या भी एक बड़ी वजह हो सकती है।
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अधिकारियों की क्या प्रतिक्रिया है?
इस गंभीर मामले को लेकर UPPCL और बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) ने तुरंत जांच शुरू कर दी है। टीमें मैदान में उतरकर उन सभी 15,000 कनेक्शनों की physical verification कर रही हैं। साथ ही, स्मार्ट मीटर सप्लाई करने वाली कंपनियों से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “यह एक गंभीर चिंता का विषय है। हम दोनों पहलुओं – तकनीकी खामी और संभावित गड़बड़ी, दोनों पर देख रहे हैं। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
आम जनता और honest consumers पर क्या असर पड़ेगा?
यह मामला सिर्फ एक आंकड़े का नहीं है। इसके गंभीर निहितार्थ हैं:
- वितरण कंपनियों को नुकसान: अगर बिजली की खपत दर्ज नहीं होगी, तो DISCOMs का राजस्व बुरी तरह प्रभावित होगा। इसकी भरपाई ईमानदार उपभोक्ताओं से ऊंचे दरों से की जा सकती है।
- ईमानदार ग्राहकों पर बोझ: अगर कंपनियों का राजस्व घटता है, तो आने वाले समय में टैरिफ बढ़ने का खतरा बना रहता है, जिसका खामियाजा सभी भुगतेंगे।
- स्मार्ट मीटर योजना पर सवाल: इस घटना से सरकार की महत्वाकांक्षी स्मार्ट मीटर योजना की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
निष्कर्ष:
उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटरों का जीरो यूनिट दिखाना एक बड़ा झटका है। यह दिखाता है कि कोई भी तकनीक 100% फoolप्रूफ नहीं होती। सरकार और पावर कंपनियों के सामने अब दोहरी चुनौती है: एक तरफ तो तकनीकी खामियों को दूर करना, और दूसरी तरफ बिजली चोरी रोकने के नए तरीके ढूंढना। ईमानदार उपभोक्ताओं की नजर अब इस जांच के नतीजे पर टिकी है, क्योंकि इसी से तय होगा कि आखिरकार उनके बिजली बिल पर इसका असर क्या होने वाला है।