पटना। बिहार की राजधानी पटना में आज (बुधवार) का दिन राजनीतिक उठापटक के नाम रहा। विपक्षी गठबंधन एनडीए ने यहाँ बंद का आह्वान किया, जिसका असर शहर के कई इलाकों में साफ देखने को मिला। इस हड़ताल की वजह बनी केंद्र सरकार में एक मंत्री द्वारा दिए गए वो बयान, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी माता जी का नाम लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी।
विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार में बैठे एक मंत्री द्वारा इस तरह की भाषा का इस्तेमाल दुर्भाग्यपूर्ण है और इसकी उन्हें सख्त कीमत चुकानी पड़ेगी। एनडीए के नेताओं ने आज पटना की सड़कों पर उतरकर इसका विरोध जताया और मांग की कि मंत्री को तुरंत उनके पद से हटाया जाए।
बंद का क्या रहा असर?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, आज के बंद में शहर का व्यवसायिक जीवन ठप्प रहा। कई मार्केट और दुकानें बंद देखी गईं। हालांकि, स्कूल-कॉलेज पहले से ही बंद चल रहे हैं, इस वजह से छात्रों पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। यातायात पर भी असर पड़ा और ऑटो-रिक्शा और प्राइवेट वाहन कम ही सड़कों पर नजर आए। प्रशासन ने शहर में भारी पुलिस बल की तैनाती की थी ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना को टाला जा सके।
नेताओं ने क्या कहा?
एनडीए के नेताओं ने इस मौके पर कहा कि यह सिर्फ एक हड़ताल नहीं, बल्कि सरकार के ‘अनैतिक रवैये’ के खिलाफ एक जन आक्रोश है। उनका आरोप है कि सरकार लगातार विपक्ष की आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रही है और अब मंत्रियों स्तर से इस तरह की भाषा बोली जा रही है, जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।
वहीं, सत्तारूढ़ दल की तरफ से अभी तक इस बंद पर कोई बड़ी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, पार्टी के कुछ स्थानीय नेताओं ने इसे विपक्ष का एक राजनीतिक ड्रामा बताया है।
आगे की राह क्या?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह मामला अब सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रहने वाला। विपक्ष इसे राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर सकता है। अगले कुछ दिनों में संसद में भी इस मुद्दे पर जोरदार हंगामा देखने को मिल सकता है। सबकी नजर अब प्रधानमंत्री कार्यालय की प्रतिक्रिया पर टिकी है कि वह इस पूरे विवाद पर क्या रुख अख्तियार करता है।
इस बंद ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि बिहार की राजनीति में भाषा और सम्मान का मुद्दा कितना संवेदनशील है और कोई भी बयान बड़ा राजनीतिक तूफान ला सकता है।