बड़वानी: मछली के जाल में फंसे जहरीले नाग को बचाया। देखकर रह गए लोग हैरान!

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मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ एक जहरीले कोबरा सांप ने मछली पकड़ने वाले जाल में फंसे दूसरे कोबरा को आज़ाद कराया। यह नज़ारा स्थानीय लोगों और वन विभाग के अधिकारियों के लिए भी एक अद्भुत अनुभव था।

कहाँ हुई यह घटना?
यह मामला बड़वानी जिले के ग्राम खुडावाडी का है, जो नर्मदा नदी के किनारे बसा हुआ है। सुबह करीब 7:30 बजे जब गाँव के कुछ लोग नदी किनारे पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि एक मछली पकड़ने का जाल (फिशिंग नेट) तट पर पड़ा है और उसमें एक बड़ा व खतरनाक कोबरा सांप फंसा हुआ है।

कैसे बचाया गया सांप को?
लोगों ने जैसे ही कोबरा को देखा, सब डर गए। किसी की हिम्मत नहीं हुई कि जाल के पास जाए। उन्होंने तुरंत वन विभाग को इसकी सूचना दी। लेकिन तभी एक और सांप (जिसे गाँव वालों ने कोबरा का ‘दोस्त’ या ‘साथी’ बताया) वहाँ आया। इस सांप ने जाल के चारों ओर चक्कर लगाया और फिर अपने दांतों और शरीर से जाल को खींचना व काटना शुरू कर दिया। करीब 20-25 मिनट की लगातार कोशिश के बाद, वह फंसे हुए कोबरा को जाल से मुक्त कराने में सफल हो गया। आज़ाद होते ही दोनों सांप तेजी से नदी की ओर रेंटते हुए चले गए।

वन विभाग और ग्रामीण क्या कहते हैं?
वन विभाग की टीम जब मौके पर पहुँची, तब तक सांप जा चुके थे। लेकिन ग्रामीणों ने जो वर्णन किया, उसे सुनकर अधिकारी भी दंग रह गए। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “सांप आमतौर पर अकेले रहने वाले जीव हैं, लेकिन कभी-कभी वे एक-दूसरे की मदद भी करते हैं, खासकर तनाव या खतरे की स्थिति में। यह घटना प्रकृति का एक अद्भुत चमत्कार है।”

क्या है सबक?
इस घटना से एक बड़ा सबक यह मिलता है कि इंसानों द्वारा छोड़ा गया कचरा, जैसे प्लास्टिक के जाल, जंगली जीवों के लिए कितना घातक साबित हो रहा है। अगर उस सांप ने समय रहते अपने ‘साथी’ की मदद नहीं की होती, तो कोबरा की मौत निश्चित थी।

क्या आप जानते हैं?
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, सांपों में सामाजिक व्यवहार बहुत कम देखने को मिलता है, लेकिन यह घटना दर्शाती है कि वे पूरी तरह से असंवेदनशील भी नहीं होते। ऐसी कई घटनाएँ दर्ज की गई हैं, जहाँ सांपों ने आपसी सहयोग दिखाया है।

अंत में…
यह घटना हमें प्रकृति और उसके जीवों के प्रति संवेदनशील होने का संदेश देती है। हमें अपने आसपास के पर्यावरण को साफ रखना चाहिए, ताकि जानवरों को ऐसी मुश्किलों का सामना न करना पड़े।

क्या आपने भी कभी किसी जानवर की ऐसी मदद करते हुए देखा है? हमारे साथ अपना अनुभव जरूर साझा करें।