नागपुर: मुंबई के कुख्यात गैंगस्टर-राजनेता अरुण गावली का एक पुराने मर्डर केस में जमानत हो गई है। इसके साथ ही, उन्होंने शुक्रवार को नागपुर की जेल से 17 लंबे सालों की कैद के बाद सांसें लीं। 67 साल के गावली, जिन्हें पहले ‘डाकू’ के नाम से जाना जाता था, को साल 2012 में एक शिवसेना नेता की हत्या के केस में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
क्या है पूरा मामला?
बात साल 2007 की है, जब कामदिप सिंह नाम के एक शिवसेना नेता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि इस हत्या की साजिश अरुण गावली ने रची थी। इसी के चलते उन्हें उम्रकैद की सजा काटने के लिए नागपुर की जेल भेज दिया गया।
तो अब जमानत कैसे मिल गई?
गावली की वकील ने बॉम्बे हाईकोर्ट में यह दलील दी कि मुख्य गवाह ने कोर्ट में अपनी गवाही बदल दी थी और उसने गावली पर लगे आरोपों से इनकार कर दिया था। इसके अलावा, गावली ने जेल में अपने व्यवहार से अच्छा रिकॉर्ड बनाया था। इन बातों को देखते हुए हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत देने का फैसला किया।
जेल से निकलने के बाद क्या हुआ?
जेल के बाहर गावली के समर्थकों और परिवार वालों ने उनका जोरदार स्वागत किया। उनकी बेटी गीता, जो खुद एक Politician हैं, वह भी इस मौके पर मौजूद थीं। हालाँकि, गावली ने मीडिया से बात करने से साफ इनकार कर दिया और चुपचाप अपने घर की तरफ रवाना हो गए।
एक गैंगस्टर से सांसद बना सफर
अरुण गावली का नाम एक जमाने में मुंबई की अंडरवर्ल्ड में सबसे ऊपर हुआ करता था। वह करीब 3 दशक तक इस दुनिया के बड़े नामों में से एक रहे। हैरानी की बात यह है कि बाद में उन्होंने राजनीति में कदम रखा और ‘अखिल भारतीय सेना पार्टी’ बनाई। साल 2004 में वह मुंबई की एक सीट से विधायक भी चुने गए।
अब आगे क्या?
हालाँकि गावली अब जमानत पर जेल से बाहर आ गए हैं, लेकिन यह केस अभी भी कोर्ट में चल रहा है। इसलिए आगे की कार्रवाई और कोर्ट के फैसले पर ही सबकी नजर टिकी होगी। उनकी रिहाई को लेकर लोगों के बीच अलग-अलग प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ लोग इसे इंसाफ की प्रक्रिया का हिस्सा मान रहे हैं, तो वहीं कुछ लोगों को यह फैसला हैरान करने वाला लग रहा है।