इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में सोमवार को एक भीषण सड़क हादसा हुआ, जिसने एक बार फिर शहर की सड़कों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस दर्दनाक घटना में 5 लोगों की मौक्तिक मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए। घटना के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सख्त से नाराज़ दिखाई दिए और उन्होंने तुरंत जवाबदेही तय करने के निर्देश दिए।
क्या हुआ था?
जानकारी के मुताबिक, यह हादसा इंदौर के एक व्यस्त इलाके में हुआ। एक तेज़ रफ्तार वाहन ने अनियंत्रित होकर फुटपाथ पर खड़े लोगों को टक्कर मार दी। इस जोरदार टक्कर के बाद वाहन काफी दूर तक जाकर रुका। घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस और एम्बुलेंस टीमों ने घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया, मगर दुर्भाग्य से 5 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।
सीएम मोहन यादव का सख्त रुख
इस घटना ने प्रशासन के साथ-साथ मुख्यमंत्री कार्यालय तक भी हड़कंप मचा दिया। सीएम डॉ. मोहन यादव ने तुरंत इस मामले में संज्ञान लेते हुए एक बैठक बुलाई। उन्होंने घटना को ‘अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया और मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
सीएम यादव ने न केवल मृतकों के परिवार को मुआवजा देने के आदेश जारी किए, बल्कि इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भी निर्देश दिया। उन्होंने अधिकारियों से इस पूरे मामले की त्वरित जाँच करने और एक विस्तृत एक्शन रिपोर्ट पेश करने को कहा है। उनका कहना था कि ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
बड़ा सवाल: सड़क सुरक्षा कब होगी सख्त?
यह घटना इंदौर में हुई सड़क दुर्घटनाओं की एक लंबी लिस्ट में एक और काले अध्याय के रूप में जुड़ गई है। अक्सर देखने में आता है कि शहर के कई इलाकों में ओवरस्पीडिंग और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी आम बात हो गई है। आम नागरिक और सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ लगातार इस ओर ध्यान दिलाते रहे हैं कि सख्त नियमों और उनके सही execution के बिना ऐसी त्रासदियाँ रुकने वाली नहीं हैं।
सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ मुआवजा और जाँच का ऐलान करना ही काफी है? या फिर जमीनी स्तर पर ट्रैफिक प्रबंधन को दुरुस्त करने, स्पीड ब्रेकर्स लगाने और जागरूकता अभियान चलाने की सख्त जरूरत है? इस घटना के बाद प्रशासनिक स्तर पर जो एक्शन लिया जाएगा, वही आने वाले दिनों में ऐसे हादसों पर रोक की असली कसौटी होगी।
अभी पुलिस मामले की हर बारीकी से जाँच कर रही है और आरोपी ड्राइवर के खिलाफ कड़ी कानूनी धाराओं में केस दर्ज किया गया है। पूरे प्रकरण में प्रशासन की गंभीरता इस बात का संकेत है कि इस बार दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा।
निष्कर्ष:
इंदौर का यह दर्दनाक हादसा पूरे प्रदेश के लिए एक चेतावनी है। सड़क सुरक्षा सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है। जब तक हम सभी मिलकर ट्रैफिक नियमों का पालन करने का संकल्प नहीं लेंगे, तब तक ऐसी खबरें सुर्खियों में आती रहेंगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि सीएम यादव के सख्त निर्देशों का असर दिखेगा और इंदौर की सड़कें दोबारा सुरक्षित बन सकेंगी।