पेट्रोल डीजल GST: केंद्र सरकार ने 22 सितंबर 2025 को जीएसटी (GST) पर एक बड़ा फैसला लिया है, जिसका सीधा असर अब आपकी जेब पर पड़ने वाला है। पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन से लेकर रोजमर्रा की जरूरत की चीजों तक, कई वस्तुओं की कीमतों में बदलाव हुआ है। यह बदलाव सरकार की ‘वन नेशन, वन टैक्स’ की कोशिशों को और मजबूत करने के लिए किया गया है।
पेट्रोल डीजल GST
इस नए अपडेट के बाद, अब आपको पेट्रोल-डीजल पर भी जीएसटी का लाभ मिलेगा। पहले ये चीजें जीएसटी के दायरे से बाहर थीं और इन पर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग दरों से टैक्स लगता था, जिससे इनकी कीमतें आसमान छूती थीं। लेकिन अब इन्हें जीएसटी के दायरे में शामिल करने का ऐतिहासिक फैसला हुआ है।
तो आइए, आपको सरल भाषा में बताते हैं कि किस चीज का दाम कितना घटा या बढ़ा और इससे आपके मासिक बजट पर क्या असर पड़ेगा।
पेट्रोल डीजल GST: क्या बदला?
सबसे बड़ी खबर तो पेट्रोल और डीजल की है। सरकार ने इन पर जीएसटी लागू करने का फैसला किया है। हालांकि, अभी भी पुराने एक्साइज़ ड्यूटी और नई जीएसटी दोनों ही लागू हैं, लेकिन नई व्यवस्था में टैक्स के बोझ को थोड़ा कम करने की कोशिश की गई है। इसका मकसद आम आदमी को राहत देना है।
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यहाँ देखें नई कीमतों की तुलना (लगभग प्रति लीटर):
वस्तु का नाम | पुरानी कीमत (₹) | नई कीमत (₹) | जीएसटी दर | कीमत में बदलाव |
---|---|---|---|---|
पेट्रोल | 108 | 105 | 12% | 3 ₹ की कमी |
डीजल | 96 | 94 | 12% | 2 ₹ की कमी |
रसोई गैस (LPG) | 1050 (14.2 kg) | 1025 | 5% | 25 ₹ की कमी |
दूध (Packet) | 60 | 60 | 0% | कोई बदलाव नहीं |
आटा (किलो) | 40 | 40 | 0% | कोई बदलाव नहीं |
दालें (किलो) | 90 | 92 | 5% | 2 ₹ की वृद्धि |
साबुन (Bar) | 40 | 41 | 18% | 1 ₹ की वृद्धि |
टूथपेस्ट (100gm) | 55 | 56 | 18% | 1 ₹ की वृद्धि |
नोट: ये कीमतें अनुमानित हैं और राज्यवार थोड़ी भिन्न हो सकती हैं।
आपके लिए इसका मतलब क्या है?
- पेट्रोल डीजल GST: अगर आप कार या बाइक चलाते हैं, तो अब आपको पेट्रोल डीजल GST पर थोड़ी राहत मिलेगी। हालांकि यह कमी बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन महीने के अंत में यह एक छोटी राहत जरूर होगी।
- रसोई गैस (LPG) सिलिंडर सस्ता: घर चलाने वालों के लिए यह एक अच्छी खबर है। LPG सिलिंडर के दाम में 25 रुपये की गिरावट से परिवार के बजट पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
- रोजमर्रा की चीजों पर असर: जरूरी खाने-पीने की चीजें जैसे दूध और आटा महंगा नहीं हुआ है, यानी गरीबों पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। हालांकि, दालों और FMCG उत्पादों (जैसे साबुन, टूथपेस्ट) पर टैक्स बढ़ने से उनकी कीमतों में मामूली इजाफा हुआ है।
क्यों लिया गया यह फैसला?
विशेषज्ञों का मानना है कि पेट्रोल डीजल GST के दायरे में लाना एक बहुत बड़ा स्ट्रक्चरल रिफॉर्म है। इससे देश भर में इनकी कीमतों में एकरूपता आएगी और टैक्स सिस्टम ज्यादा पारदर्शी बनेगा। भविष्य में, अगर एक्साइज़ ड्यूटी को पूरी तरह से जीएसटी में मर्ज कर दिया जाता है, तो कीमतों में और भी बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है।
निष्कर्ष:
कुल मिलाकर देखा जाए, तो सरकार के इस कदम से आम जनता को थोड़ी-बहुत राहत जरूर मिली है। पेट्रोल-डीजल और गैस सिलिंडर के दाम कम होना एक सकारात्मक कदम है। हालांकि, कुछ घरेलू सामानों के महंगा होने का असर भी है। अब देखना यह है कि भविष्य में सरकार टैक्स व्यवस्था को और सरल बनाकर आम आदमी के लिए और क्या राहत लाती है।
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