मैहर (मध्य प्रदेश): रबी की फसल की बुआई का समय चल रहा है, लेकिन किसानों के हाथों में खाद के लिए न तो पैसे हैं और न ही उम्मीद। इसी गुस्से और हताशा ने मंगलवार को मैहर में एक बड़ा रूप ले लिया। जिले के किसान खाद की किल्लत को लेकर सड़कों पर उतर आए और उनका यह प्रदर्शन SDM कार्यालय पहुंचकर हंगामे में बदल गया।
क्या हुआ मामला?
बात मध्य प्रदेश के सतना जिले के अंतर्गत आने वाले मैहर की है। यहां के सैकड़ों किसानों ने निर्धारित दर पर और पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल पाने के विरोध में एक बड़ा प्रदर्शन किया। किसानों का आरोप है कि कोटा के नाम पर उन्हें खाद के लिए परेशान किया जा रहा है, जबकि जमीन पर उनकी फसल खराब होने का डर पैदा हो गया है।
नारेबाजी करते हुए किसानों का जत्था SDM के दफ्तर पहुंचा और अपनी मांगों को लेकर जोरदार हंगामा शुरू कर दिया। गुस्साई भीड़ ने कार्यालय परिसर के अंदर तोड़फोड़ भी की, जिससे वहां का माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया।
किसानों का क्या है कहना?
प्रदर्शन में शामिल किसानों का कहना है कि सरकारी कोटे के नाम पर उन्हें बहुत कम मात्रा में खाद दी जा रही है। जिसकी वजह से उनकी फसलों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। एक किसान ने गुस्से में कहा, “अगर समय पर खाद नहीं मिली, तो फसल चौपट हो जाएगी। हमारी मेहनत बर्बाद हो जाएगी। सरकार सिर्फ वादे करती है, लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और है।”
प्रशासन की प्रतिक्रिया क्या रही?
घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की टीम पहुंच गई। उन्होंने स्थिति को शांत करवाने और किसानों से बातचीत का प्रयास किया। अधिकारियों ने किसानों को आश्वासन दिया कि उनकी समस्या का जल्द ही समाधान निकाला जाएगा और खाद की आपूर्ति में हो रही दिक्कतों को दूर किया जाएगा। हालांकि, किसान अभी भी अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं।
क्यों है खाद का संकट?
यह सवाल सिर्फ मैहर का नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के कई इलाकों में उठ रहा है। कृषि experts का मानना है कि Demand और Supply के बीच का Gap, Distribution में हो रही देरी और कभी-कभी Black Marketeering इसकी बड़ी वजहें हैं। किसानों का दर्द है कि जब उन्हें सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब ये संकट सामने आता है।
आगे की राह?
इस घटना ने एक बार फिर राज्य में किसानों की परेशानियों और कृषि संबंधी चुनौतियों को उजागर कर दिया है। देखना यह है कि प्रशासन किसानों के गुस्से को शांत करने और उन्हें तुरंत राहत दिलाने के लिए क्या ठोस कदम उठाता है। किसानों की नाराजगी इस बात का संकेत है कि जमीनी स्तर पर नीतियों के सही क्रियान्वयन में अभी भी कमी है।