महात्मा गांधी: सत्य और अहिंसा के पुजारी

Quora24.com

महात्मा गांधी: सत्य और अहिंसा के पुजारी ✨🇮🇳

महात्मा गांधी का नाम भारत के स्वतंत्रता संग्राम के साथ स्वर्ण अक्षरों में लिखा हुआ है। उन्हें राष्ट्रपिता कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन को देश और मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया। गांधी जी केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में सत्य और अहिंसा के प्रतीक माने जाते हैं। उनका पूरा जीवन इस बात का उदाहरण है कि दृढ़ संकल्प, सादगी और नैतिकता से बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।


प्रारंभिक जीवन 🧒

महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक नगर में हुआ। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर रियासत के दीवान थे और माता पुतलीबाई धार्मिक विचारों वाली महिला थीं। बचपन से ही गांधी जी पर माता के संस्कारों का गहरा प्रभाव पड़ा।

गांधी जी एक साधारण छात्र थे, परंतु ईमानदारी और सत्य के प्रति उनकी लगन उन्हें विशेष बनाती थी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में प्राप्त की और बाद में कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए।


इंग्लैंड से दक्षिण अफ्रीका तक 🌍

गांधी जी ने इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई पूरी की और फिर कुछ समय बाद नौकरी के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए। वहाँ उन्होंने नस्लभेद और अन्याय का सामना किया। एक घटना बहुत प्रसिद्ध है जब उन्हें प्रथम श्रेणी का टिकट होने के बावजूद ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया। इस अपमान ने उनके जीवन की दिशा बदल दी।

दक्षिण अफ्रीका में ही उन्होंने पहली बार सत्याग्रह और अहिंसा के प्रयोग किए और वहाँ के भारतीयों के अधिकारों के लिए लंबा संघर्ष किया। यह अनुभव आगे चलकर भारत की आज़ादी की लड़ाई में उनके लिए मार्गदर्शक साबित हुआ।


भारत वापसी और स्वतंत्रता संग्राम ✊

1915 में गांधी जी भारत लौटे। उन्होंने यहाँ के हालातों को समझा और स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। गांधी जी का मानना था कि केवल हिंसा और युद्ध से आज़ादी नहीं मिल सकती। उन्होंने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाकर जन आंदोलन खड़ा किया।

प्रमुख आंदोलन:

  1. चंपारण सत्याग्रह (1917) – बिहार के चंपारण में किसानों को नील की खेती करने के लिए मजबूर किया जा रहा था। गांधी जी ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाई और किसानों को न्याय दिलाया।
  2. असहयोग आंदोलन (1920) – गांधी जी ने अंग्रेजी शासन का बहिष्कार करने का आह्वान किया। लोगों ने सरकारी स्कूलों, अदालतों और वस्त्रों का त्याग किया।
  3. नमक सत्याग्रह (1930) – अंग्रेज सरकार ने नमक पर कर लगाया था। गांधी जी ने दांडी यात्रा निकालकर नमक का कानून तोड़ा। यह आंदोलन पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना।
  4. भारत छोड़ो आंदोलन (1942) – गांधी जी ने “अंग्रेजों भारत छोड़ो” का नारा दिया। इस आंदोलन ने स्वतंत्रता संग्राम को अंतिम गति दी।

गांधी जी की विचारधारा 🌿

गांधी जी के जीवन की सबसे बड़ी शक्ति थी – सत्य और अहिंसा

  • सत्य: उनके अनुसार सत्य ही ईश्वर है। उनका मानना था कि किसी भी परिस्थिति में झूठ बोलना पाप है।
  • अहिंसा: गांधी जी ने कहा कि हिंसा से केवल विनाश होता है। यदि हम शांति और प्रेम से काम करें तो बड़े से बड़ा शत्रु भी मित्र बन सकता है।
  • सादगी: गांधी जी बहुत सरल जीवन जीते थे। उन्होंने विदेशी वस्त्र त्यागकर खादी अपनाई और चरखा चलाने को बढ़ावा दिया।
  • स्वदेशी: उनका मानना था कि यदि भारत को आत्मनिर्भर बनाना है तो हमें अपने उत्पादों का उपयोग करना चाहिए।

गांधी जी और समाज सुधार 🏛️

गांधी जी केवल स्वतंत्रता संग्राम तक सीमित नहीं रहे, उन्होंने समाज सुधार के लिए भी काम किया।

  • छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ आवाज़ उठाई।
  • महिलाओं को सम्मान और समान अधिकार दिलाने की कोशिश की।
  • ग्राम स्वराज और आत्मनिर्भर गाँवों की कल्पना की।
  • शिक्षा और स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया।

विश्व पर गांधी जी का प्रभाव 🌎

गांधी जी के सिद्धांत केवल भारत तक ही सीमित नहीं रहे। अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग जूनियर, दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला और म्यांमार में आंग सान सू की जैसे नेताओं ने भी उनके विचारों को अपनाया। अहिंसा और शांति का जो संदेश उन्होंने दिया, वह आज भी पूरी दुनिया में प्रासंगिक है।


अंतिम समय और बलिदान 🕊️

30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी। उनकी मृत्यु ने पूरे देश को झकझोर दिया। लेकिन उनके विचार आज भी जीवित हैं और आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते हैं।


निष्कर्ष ✍️

महात्मा गांधी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सत्य, अहिंसा, सादगी और आत्मनिर्भरता से हम किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं। उनका योगदान भारत ही नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए अमूल्य है। आज भी यदि हम उनके आदर्शों का पालन करें, तो एक बेहतर समाज और मजबूत राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।


✨ गांधी जी ने कहा था –
“आप वो बदलाव बनिए, जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।”