चंद्रशेखर आजाद ने समान काम समान वेतन का मुद्दा उठाया है, कहा – एक ही काम के लिए वेतन अलग- अलग क्यों।

आज सांसद चंद्रशेखर आजाद ने समान काम समान वेतन की बात को लेकर सुर्खियों में हैं। उनका कहना हैं कि एक ही काम को करने के लिए अलग अलग वेतन क्यों दी जाती है, जबकि उनका काम तो सामन होता है।

चंद्रशेखर आजाद का मुद्दा

दरअसल चंद्रशेखर आजाद उत्तरप्रदेश के नगीना लोकसभा सीट के सांसद है, जो कि एक जैसे काम करने वाले को एक जैसी ही सैलरी या तनख्वाह मिलनी चाहिए। जबकि हमारे भारत में ऐसा नहीं है । उनका कहना है कि जब कोई सरकारी कर्मचारी उस काम को करता है तो उसे 50 हजार मिलते है और वही काम अगर संविदा कर्मचारी या आउट सोर्सिंग वाले को सिर्फ 8 हजार मिलते है। ये तो बहुत ही नाइंसाफी सी लगती है। जब दोनों वर्ग में काम बराबर होता हैं तो वेतन में इतना गैप कैसे ओर क्यों।

समाज पार्टी कांसीराम के मुखिया सांसद चंद्रशेखर आजाद ने ये भी कहा – कि देश में काम कर रहे सरकारी कर्मचारी की संख्या बहुत ही कम है। लगभग 2% ही सरकारी कर्मचारी है इस देश में। बाकी तो सब प्राइवेट सेक्टर में कहलाते है, जो कि काफी बड़ा सेक्टर है। जिसमें संविदा, आउट सोर्सिंग के कर्मचारी होते है। उन्हें सिर्फ 8 हजार ही वेतन दिया जाता हैं, जबकि सरकारी सेक्टर वालो को 50 हजार मिलते है।

समान काम समान वेतन

ये जो वेतन में इतना बड़ा गैप है। ये नहीं होना चाहिए, क्योंकि सभी का तो घर परिवार होता है, और वेतन सिर्फ सेक्टर के हिसाब से दी जाती है। क्योंकि कुछ कमीशन तो ऊपर बैठे बड़े कर्मचारी ही दबा लेते है। और ऐसा बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। आपको ये समझना होगा कि जैसे पुलिस कर्मचारी को 50 हजार मिलते है, और वही होमगार्ड को 12 हजार मिलते है । PRD के जवान को तो उससे भी कम वेतन मिलता है । तो मेरा ये कहना है कि जितना काम हो, जैसा काम हो उनकी उतनी ही सैलरी मिलनी चाहिए। ( आवाज – चंद्रशेखर आजाद, उत्तरप्रदेश )

मैं रितेश रावत एक स्नातक छात्र हूं और ऑटोमोबाइल,टेक्नोलॉजी एवं न्यूज़ कैटेगरी में कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। मुझे नई कारों, बाइकों, खबरों और आधुनिक तकनीकों के बारे में लिखना बेहद पसंद है। मेरा लक्ष्य है कि मैं अपने लेखों के माध्यम से पाठकों को सरल, रोचक और भरोसेमंद जानकारी प्रदान कर सकूं, ताकि वे ऑटो और टेक्नोलॉजी की दुनिया से हमेशा अपडेट रहें।

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